मठरी एक पारंपरिक उत्तर भारतीय शैली का कुरकुरा पटाखा स्नैक है, यह आम तौर पर दीवाली, करवा चौथ, होली और अन्य त्योहारों जैसे त्योहारों पर तैयार किया जाता है। इसे तैयार होने में ज्यादा समय नहीं लगता है। हम इसे अपने घर पर भी कुछ ही समय में तैयार कर सकते हैं यदि सभी सामग्री पहले से तैयार हैं। आप विभिन्न प्रकार के मठरी व्यंजनों जैसे धनिया मठरी, मैदा पापड़ी, मक्की की मठरी, मठरी, पंजाबी मसाला मठरी, निमकी मठरी, मक्का-तिल मीठा मठरी, आदि के लिए भी कोशिश कर सकते हैं।
मैदा की पपड़ी बहुत ही स्वादिष्ट नमकीन है. ये पपड़ी आप बना कर एअर टाइट कन्टेनर में रख लें, आप एक महिने तक कभी भी चाय के साथ निकाल कर खा सकते हैं.
धनिये, पालक या मैथी तीनों तरह की मठरी का स्वाद मजेदार लेकिन एक दूसरे से अलग होता है. तो आज बनाते हैं छोटी धनिये की खस्ता मठरी.
आप सर्दियों के मौसम में मक्का का कितना प्रयोग कारते हैं? मक्का से बने हुये व्यंजन हमें सर्दी से बचने में मदद करते हैं. आइये आज शाम को चाय के साथ गरमा गरम मक्की की मठरी बनाते हैं.
गुड़, तिल और गेहूं के आटे से बने गुड़पारे का स्वाद शकरपारे से अलग होता है. सर्दियों में तो यह और भी अधिक पसंद आता है.
पोटली समोसा, पोटली जैसे बहुत सुदर, एकदम अलग और बहुत ही स्वादिष्ट होते हैं. सामान्य समोसे की अपेक्षा पोटली समोसा आकार में छोटे होते हैं और इन्हैं किसी भी पार्टी में स्टार्टर के रूप में या किसी भी खास अवसर परोसा जा सकता है, शाम को हल्की फुल्की भूख में,स्नेक्स के रूप में बना कर खाया जा सकता है.
मैदा से बनने वाली यह पापडी बहुत खस्ता, कुरकुरी परतों वाला और बहुत ही आसानी से कम इन्ग्रेडियेन्ट्स में बनने वाला नमकीन है. इसे हम किसी भी त्यौहार पर या नाश्ते के लिये बना सकते हैं. इसकी शैल्फ लाइफ भी बहुत अधिक है. चाय के साथ इसकी परतें अलग अलग करके खाने का अपना खास मज़ा है.
फरसी पूरी यानी गुजराती तरीके से बनी मठरी. खाने में एकदम कुरकुरी, सुबह या शाम चाय के साथ नाश्ते में सभी को बहुत पसंद आयेगी, बनाकर देखिये..
हम बेसन पापडी और मैदा की कुरकुरी पापडी बनाते रहते हैं. इन दोनों पापड़ी के कुरकुरे पन से अलग खास तरह की कुरकुरी चावल के आटे की पापड़ी का स्वाद आपको बेहद पसंद आयेगा.
देशी मसालों के साथ बनी खस्ता कुरकुरी पंजाबी मसाला मठरी स्वाद में बहुत ही लाजवाब होती हैं. हम इन्हें किसी भी त्यौहार पर भी बना सकते हैं.
जब बाज़ार में बिस्कुटों का प्रचलन आम नहीं हुआ था तब उस समय घर में मठरी बनायी जाती थी. इनकी खूबी ये है कि आप इन्हें बनकर एकमहीने तक खा सकते हैं. बस आप इन्हें एयर टाइट कन्टेनर में रखें. तो फिर आज बनाते है मठरियाँ.
बृज क्षेत्र यानी आगरा, मथुरा, फिरोजाबाद आदि इलाके में बनाई जाने वाली फ्राइड बाटी राजस्थानी बाटी से साइज में थोड़ी छोटी और स्वाद में एकदम अलग होती हैं. फ्राइड बाटी को स्टार्टर के रूप में मुख्य खाने में परोसा जा सकता है.
गुजरात में 2 तरह की बाकरबड़ी बनाई जाती हैं. मसाला भरकर बनाई जाने वाली बाकर बड़ी और आलू में मसाले मिलाकर भरकर बनाई जाने वाली आलू बाकरवडी. मसाला भरकर बनाई बाकर बड़ी को एक माह तक रखा जा सकता है जबकि आलू की बाकरबड़ी की शेल्फ लाइफ सिर्फ एक दिन होती है. बाकरवडी के कुरकुरी परत के अन्दर मसालेदार आलू का मुलायम स्वाद बहुत स्वादिष्ट होता है.
इस तेज सर्दी के मौसम के मुताबिक तिल और मक्का के आटा दोनों ही स्वास्थ्य के लिये फायदेमन्द हैं. आइये हम मक्के के आटे और तिल की टिक्की बनायें.
नमक पारे जैसे कुरकुरे लेकिन कई परतों वाले और कलोंजी का खास स्वाद समेटे निमकी दिखने में बोम्बे काजा जैसे होते हैं, लेकिन स्वाद में नमकीन मसालेदार. इन्हें चाहें तो मसाला की तरह खायें चाहे तो कसूंदी या धनिया चटनी के साथ खायें, दोनों तरह खाने से इसका अद्भुत स्वाद आपको बेहद पसंद आयेगा.
मैदा से बने नमक पारे तो आपको पसंद आते ही होंगे. बेसन पारे बेसन और गेहूं के आटे से बने बहुत ही स्वादिष्ट नमक पारे हैं, इन्हैं सुबह शाम चाय के साथ स्नेक्स के रूप में खा सकते हैं, बच्चे तो इन्हैं बिस्किट की तरह से खाना पसन्द करते हैं.