कांजी बड़ा बहुत स्वादिष्ट पेय है, यह पेय पाचन में भी सहायक है. त्योहारों पर मिठाइयां खा कर अगर एसा महसूस हो कि अब कुछ खाने को मन नहीं कर रहा और उस समय कांजी पीने को मिल जाय तो कांजी का स्वाद तो अच्छा लगता है, थोड़ी देर बाद कुछ और खाने की इच्छा भी होने लगती है. वैसे तो कांजी कभी भी बनाई जा सकती है, लेकिन त्योहारों पर कांजी बनायें तो बहुत अच्छा लगेगा. आइये शुरू करे कांजी बड़ा बनाना.
सामग्री -
बड़े के लिये -
विधि -
पानी को किसी बर्तन में डालकर उबाल आने तक गरम कर लीजिये. (आरोह वाटर हो तो पानी को उबालने की आवश्यकता नहीं है).
पानी को ठंडा कीजिये, कांच या प्लास्टिक के कन्टेनर में डालिये, पानी में हींग, हल्दी पाउडर, लाल मिर्च पाउडर,पीली सरसों,सरसों का तेल ओर दोंनो नमक डाल कर मिला दीजिये.
कन्टेनर का ढक्कन बन्द करके 3 दिन तक के लिये रख दीजिये
रोजाना 1 बार सूखे और साफ चमचे से चलाना मत भूलिये.
तीसरे दिन कांजी को टेस्ट कीजिये, कांजी हल्की हल्की खट्टी हो जाती है, हल्की खट्टी कांजी आप पीना चाहें तो पी सकते हैं. चौथे दिन आप पानी को टेस्ट करेंगे तो पानी का स्वाद एक दम अच्छा खट्टा और बड़ा ही स्वादिष्ट हो गया है, यानी आपकी कांजी तैयार हो गई है. अब हमको बड़े बनाने हैं.
बड़े बनाने के लिये :-
दाल को साफ करके, धोइये और 2 घंटे पानी में भिगो दीजिये.
दाल को पानी से निकालिये और हल्की दरदरी पीस लीजिये. पिसी हुई दाल को किसी प्याले में निकालिये, ओर नमक मिलाकर अच्छी तरह स्पंजी होने तक फैट लीजिये.
कढ़ाई में तेल डाल कर गरम कीजिये, और हाथ से छोटी छोटी बड़ीयां जैसी तेल में बनाकर डालिये, 8-10 बड़ियां एक साथ कढ़ाई में डाल दीजिये. ये बडियां तेल में फूलकर गोल हो जाती हैं, इन्हैं पलट पलट कर हल्का ब्राउन होने तक तल कर किसी प्लेट में निकाल कर रख लीजिये. सारी बड़ियां तल कर तैयार कर लीजिये.
वड़ों को गुनगुने पानी में पन्द्रह मिनट के लिये भिगो दीजीये. पन्द्रह मिनट बाद इन्हें पानी से निकाल कर, हाथों से हल्का सा दबा कर अतिरिक्त पानी निकाल दीजिये.
एक गिलास में 4-5 वड़े डाल कर कांजी भर दीजिये, स्वादिष्ट कांजी वड़ा परोसिये और पीजिये.
अगर आप वड़े नहीं बना सके है, तो कोई बात नहीं कांजी के गिलास में रायते वाली बूंदी डाल कर सर्व कर सकते है.
यदि आपके पास पीली सरसों उपलब्ध न हो तो पीली सरसों के स्थान पर काली सरसों या राई का भी प्रयोग किया जा सकता है.